जयपुर: भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। यह तिथि उसी शुभ घड़ी की याद दिलाती है। जब धरती पर पाप अत्याचार और अधर्म फैल गया। तब द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करता था। उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की एक बहन देवकी थी। जिसका विवाह एक वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसके ससुराल पहुंचाने जा रहा था।
तब रास्ते में एक ऋषि ने आकाशवाणी की थी। हे कंस तेरी बहन देवकी को तू बड़े प्रेम से सुसराल पहुंचाने ले जा रहा है। उसी के गर्भ से आठवां वो महाकाल जन्म लेगा। जिस बालक के हाथों तेरा विनाश निश्चित है। ऋषि ने आगे कहा था कि मेंने हजारों वर्षों जंगल में तपस्या की है। जिसके फलस्वरूप मेरी भविष्यवाणी कभी छुठी नहीं हो सकतीं हैं। यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उठा। तब देवकी ने उससे विनम्र पुर्वक कहा हे भैया मेरे गर्भ से जो संतान जन्म लेगी। मैं उसे तुम्हारे हवाले कर दूंगी। उसे मारने से क्या लाभ होगा।
![]() |
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म |
तब कंस ने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डल दिया। अब कारागृह में वसुदेव और देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए। उन्हें कंस सातों को जन्म लेते ही मार डाला। अब आठवां बच्चा होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था। उन्होंने वसुदेव-देवकी के दुखी जीवन को देखकर आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ। उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ। जो और कुछ नहीं सिर्फ माया थी।
जिस कोठरी में देवकी और वसुदेव कैद थे। उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख चक्र गदा पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े। मैं तुम्हें जल्दी ही कंस का विनाश करके इस कारागृह से मुक्त करूंगा। तब भगवान ने उनसे कहा अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूं। तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नंदजी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहां जो कन्या जन्मी है। उसे लाकर कंस के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे। कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे। और उफनती यमुना तुम्हें पार करने के लिए मार्ग दे देगी।
उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीकृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े। यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। लेकिन जब कंस को सूचना मिली कि देवकी को बच्चा पैदा हुआ है। उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पत्थर पर फेंक दिया। परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई। उस कन्या ने आकाश से भविष्यवाणी की अरे मूर्ख मुझे मारने से क्या होगा। तुझे मारनेवाला तो वृंदावन में जन्म ले चुका है। वह जल्द ही तेरी विनाश करेगा।
नोट- राजस्थान प्रदेश न्यूज़ की यह पोस्ट अगर आपको अच्छी लगी है। तो इसे लाइक और अधिक से अधिक शेयर करें। हमें अपना सुझाव देने के लिए कमेंट करें। इस प्रकार की खबरों के ताज़ा अपडेट पाने के लिए राजस्थान प्रदेश न्यूज़ को फॉलो करें।
नोट- राजस्थान प्रदेश न्यूज़ की यह पोस्ट अगर आपको अच्छी लगी है। तो इसे लाइक और अधिक से अधिक शेयर करें। हमें अपना सुझाव देने के लिए कमेंट करें। इस प्रकार की खबरों के ताज़ा अपडेट पाने के लिए राजस्थान प्रदेश न्यूज़ को फॉलो करें।