जयपुर: आज हम आपको महाराणा प्रताप जीवन के बारे में बताएंगे। राजस्थान की धरती लोक देवता वीर महापुरुषों की जन्मस्थली है। राजस्थान की धरती वीर महाराणा प्रताप पृथ्वीराज चौहान दुर्गादास राठौड़ सवाई जयसिंह जैसे महावीरो की जन्म भूमि है। राजस्थान की धरती पर ऐसे वीर सपूत पैदा हुए है। जिनका नाम इतिहास के हर पन्ने पर दर्ज है। महाराणा प्रताप राजस्थान के उन वीर शासकों में से एक था। महाराणा प्रताप राजस्थान के मेवाड़ जिले पर राजपूत शासक थे। सोलहवीं शताब्दी में मेवाड़ के ऊपर महाराणा प्रताप का शासन था। उस समय पूरा देश मुगल शासक अकबर के अधीन था।
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महाराणा प्रताप |
जानिए महाराणा प्रताप के जीवन की महत्वपूर्ण बातें-
- सन 18 जून 1576 में हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप और अकबर के बीच लड़ा गया था। हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप और अकबर के बीच इतना भीषण हुआ था। जिससे लोग दूसरा महाभारत का युद्ध मानते हैं।इतिहास में दुनिया का यह सबसे बड़ा भीषण युद्ध था।
- इतिहासकारों का दावा है कि महाराणा प्रताप और अकबर के बीच जो भीषण युद्ध लड़ा गया था। उसका कोई नतीजा नहीं निकला था। महाराणा प्रताप के पास सेना कम थी लेकिन मुगल शासक अकबर के पास सैन्य शक्ति अधिक थी। लेकिन फिर भी महाराणा प्रताप अकबर से पराजित नहीं हुआ था।
- इतिहास में दवा मिलता है कि महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलोग्राम था। राणा के छाती के कवच का वजन 72 किलोग्राम था। महाराणा प्रताप के दो तलवार छाती का कवच डाल आदि का वजन मिलाकर कुल 208 किलोग्राम था।
- हम आपको बता देना चाहते हैं हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप के पास कुल 20000 सैनिक थे। मुगल बादशाह अकबर के पास 85000 की सैन्य शक्ति थी। लेकिन फिर भी महाराणा प्रताप ने अकबर से हार नहीं मानी थी। और महाराणा प्रताप स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन में संघर्ष करते रहे थे।
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चेतक |
- इतिहास में दावा मिलता है कि महाराणा प्रताप के पास अकबर ने 36 शांतिदूत भेजे थे। लेकिन वीर महाराणा प्रताप ने सभी दुत को ठुकरा दिया था। अकबर चाहता था किस युद्ध को शांतिपूर्ण खत्म कर दिया जाए और संधि कर ली जाए। और राणा ने कहा था कि राजपूत शासक कभी हार बर्दाश्त नहीं कर सकता है।
- कहते हैं कि महाराणा प्रताप ने राजनीतिक कारणों से अपने जीवन में कुल 11 शादियां की थी।
- महाराणा प्रताप को बचपन में किक नाम से पुकारा जाता था। जय नाम महाराणा प्रताप के बचपन में लिया जाता था।
- महाराणा प्रताप के जीवन में सबसे प्रिय घोड़ा चेतक था। जो किसी भी संकट में चलने में सक्षम था। यह घोड़ा इतना फुर्तीला था। जिसका मुकाबला अन्य घोड़े नहीं कर सकते थे।
- बताया जाता है कि हल्दीघाटी युद्ध में जब महाराणा प्रताप के पीछे मुगल सेना पर गई थी। तब सबसे तेज बहादुर घोड़ा चेतक महाराणा प्रताप को लेकर नाले को पार कर रहा था। उसी समय चेतक की गर्दन पर किसी मुगल सैनिक ने भाला फेंक दिया था। जिससे चेतक घायल होकर नाले में जा गिरा आज भी महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक की समाधि बनी हुई है।
- हल्दीघाटी जैसे विनाशकारी युद्ध में महाराणा प्रताप के तरफ से लड़ने वाले एक मुस्लिम सरदार हकीम खान सूरी था।