भारत में कोर्णाकए के सूर्य मंदिर के बारे में जानकर, आप हैरान रह जाएंगे, जानिए रहस्य

प्राचीन काल से उड़िसा में स्थित​ कोणार्क का सुर्य मंदिर के बारे में आज हम आपको बताएंगे। वैसे तो हमारे हिंदू समाज में मंदिर को भगवान का घर मानते हैं। इस इसलिए लोग प्रातकाल और सायं काल मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। आज तक किसी ने भगवान को तो नहीं देखा। लेकिन यह भी कोई नहीं जानता है कि भगवान हमारे बीच होता है कि नहीं होता है। लेकिन हमारे हिंदू समाज में मान्यता है कि मंदिर में भगवान होता है और उसकी पूजा करने से सुख समृद्धि और घर में शांति मिलती है। इसीलिए हमारे भारतवर्ष में मंदिरों का विशिष्ट स्थान है। कोणार्क का सूर्य मंदिर चंद्रभागा नदी के किनारे उड़ीसा में स्थित है।
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  कोणार्क का सूर्य मंदिर
भारत के प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है। कोणार्क का सुर्य मंदिर अपनी खूबसूरती के साथ-साथ वास्तुकला के हिसाब से ही दुनिया के मंदिरों से कुछ अनोखा है। यह मंदिर प्राचीन वास्तुकला और तकनीकी कारीगरी के बारे में बताता है। इस मंदिर को राजा नृसिंह देव ने प्राचीन काल में बनाया था। यह मंदिर लाल बलुआ पत्थर से और काले ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है। यह मंदिर भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। कोणार्क के सूर्य मंदिर की तुलना भगवान सूर्यदेव के रथ से की जाती है। इस सूर्य मंदिर को रथ की आकृति के अनुसार बनाया गया है। जिसमें 12 रथ के पहिए लगे​ हुए हैं। और रथ को सात घोड़े को खींचते हैं। इसे मंदिर में भगवान सुर्य की 3 प्रतिमाएं

बाल्यावस्था युवावस्था​ और प्रौढ़अवस्था जिसको सुबह दोपहर और शाम के रूप में दिखाया गया है। इस सूर्य मंदिर को भगवान कृष्ण कि कहानी से जोडा जाता है। कहां जाता है कि भगवान कृष्ण के पुत्र साम्ब को उनके श्राप से कोड रोग हो गया था। इस रोग से मुक्ति पाने के लिए भगवान कृष्ण के पुत्र ने सूर्यदेव के इसी मंदिर में पूजा की थी और 12 साल के अंदर इस रोग का इलाज हुआ दावा किया जाता है कि भगवान सूर्य के इस मंदिर का निर्माण 12 साल के अंदर 1200 कारीगरों ने किया था। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद मंदिर के शिखर पर चुंबक रखना था। चुंबक में इतना बदन था कि बनाने वाले सभी 1200 कारीगर असफल हो गए थे। लेकिन एक रात में राजा के बेटे ने उस भारी चुंबक को मंदिर के शिखर पर रख दिया था। राजा के बेटे ने सोचा कि जब यह खबर राजा को पता होगी। तब वह सभी 1200 कारीगरों को मौत के घाट उतार देगा। इस बात को समझते हुए उसने नदी में कूदकर जान दे दी थी।
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