कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में 72000 की न्याय स्कीम पर कोर्ट की तलवार

जयपुर: लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी की तरफ से लुभावने वादे किए गयेे हैं। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा था, अगर पार्टी सत्ता में लौटकर कर आएगी तो देश में 20 फ़ीसदी गरीब परिवारों को हर साल 72000 रूपये "न्याय स्कीम" के तहत दिए जाएंगे। लेकिन कांग्रेस पार्टी चुनाव जीतने से पहलेे ही 72000 रुपए की स्कीम पर कोर्ट ने तलवार लटका दी है।
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इस वादे को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के खिलाफ मानते हुए कांग्रेस पार्टी और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। नोटिस में कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। इस तरह की घोषणा वोटरों को लुभाने या रिश्वत देने की श्रेणी में क्यों नहीं आती है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विशेषकर चुनाव आयोग से पूछा है कि देश में ऐसी पार्टियों पर पाबंदी या अन्य कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। इसी के साथ कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी से दो हफ्तों में जवाब मांगा है।

इससे पहले हम आपको बताना चाहते हैं यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और एसएम शमशेरी की डिवीजन बेंच ने अधिवक्ता मोहित कुमार और अमित पाण्डेय की जनहित याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस घोषणा को कांग्रेश पार्टी अपने घोषणापत्र से हटाए चाहिए। यह घोषणा आचार संहिता का उल्लंघन है। इसीलिए कांग्रेस पार्टी पर कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।

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