इंदिरा गांधी के शासन में जयपुर जयगढ़ किले में खजाने की खोज, जानिये क्यों भारत सरकार पर आज भी लोगों को शंदेह

जयपुर का जयगढ़ किला | Jaygarh Fort

जयपुर: दावा मिलता है कि भारत-पाकिस्तान के सन 1971 के युद्ध के बाद भारत में कुछ अलग प्रकार का प्रचार था। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की तरफ से भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक अलग प्रकार का खत मिला जिसमें लिखा था। आपके राजस्थाान के जयपुर जयगढ़ किले में खजानेे की खोज चल रही है जिसमें से आपको आधार संतति का हिस्सा हम को देना होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच संपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद चलते रहे हैं। हाल ही में लंदन की अदालत में चल रहा वह मामला भी चर्चा में आया था।
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जयगढ़ किला

  जयगढ़ किले का खजाना-

 जिसको हैदराबाद फंड के नाम से सभी जाना जाता है। आजादी के पहले हैदराबाद के निजाम की करोड़ों रुपये की रकम ब्रिटेन के एक बैंक में जमा थी। आज इसके स्वामित्व को लेकर भारत पाकिस्तान और नवाब के वंशजों के बीच लंदन में मुकदमा चल रहा है। हालांकि यहां हम जिस मामले का जिक्र कर रहे हैं। उसमें सबसे मजेदार बात है कि खजाना मिलने के पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इसमें हिस्सेदारी मांग ली थी।

जयपुर के जयगढ़ किले में खजाने की खोज-

यह घटना जयपुर के राजघराना संबंधित है।जयपुर से नजदीकी जयगढ़ किले में सन् 1976 में खजाने की खोज का अभियान चलाया गया था। इस किले का निर्माण राजा जयसिंह द्वितीय ने सन् 1726 में करवाया था। यह किला सुरन के जरिए आमेर के किले से जुड़ा है। जिसको 1592 में राज मानसिंह प्रथम ने बनवाया था। राजा मानसिंह अकबर केेे दरबार में सेनापति नियुक्त थे। अकबर की पहली राजपूताना रानी हरका बाई के भतीजे भी थे। ऐसा माना जाता है कि हरका बाई को जोधा बाई के नाम से जाना जाता है।
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कहा जाता है कि मानसिंह ने मुगल सेनाा के नेतृत्व में कई लड़ाइयां जीती थी। एक ऐसी लड़ाई जीती थी। मानसिंह अफगानिस्तान में जाकर विद्रोह को कुचल दिया था। और हजारों टन सोना चांदी अपने साथ लुुुरट लाए थे। इस संपत्ति को मुगल सेना के अधीन न करके​ आमेर के किले में लाकर छिपा दी थी। आमिर के जयगढ़ किले के बारे में बताया जाता है कि यहां किले के तहखाने में राजा मानसिंह गुप्त का खजाना छुपाया था। एक अरबी भाषा की किताब हफ्त तिलिस्मत-ए-अंबेरी मैं भी खजानेे का जिक्र किया गया है। माना जाता है कि केले में काफी मात्रा में खजाना मौजूद था। जयपुर के जयगढ़ किले में नीचे सात विशाल पानी की टंकियां बनी हुई है। किले की इन टंकियों​ में खजाना होने का अनुमान है।

 प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन में, जयपुर के जयगढ़ किले में  खजाने की लूट-

इस खजाने की खोज को लेकर सन1976 में पूरी दुनिया में चर्चा हुई। इस समय देश में इंदिरा गांधी का शासन था। जयपुर राजघराने की प्रतिनिधि गायत्री देवी थी। जिसने कांग्रेस प्रत्याशी को तीन बार राज्यसभा चुनाव में रहा था। गायत्री देवी इंदिरा गांधी की विरोधी थी। सन् 1975 में देश में पहली बार आपातकाल लगा इस समय गायत्री देवी ने इंदिरा गांधी के शासन का जमकर विरोध किया था। हालांकि गायत्री देवी को अन्य नेताओं की तरह जेल तो नहीं भेजा गया था लेकिन गायत्री देवी के घर विदेशी मुद्राओं का उल्लंघन के आरोप में जेल भेजा गया था। बाद में आयकर विभाग ने किले पर छापा मारा इसमें पुलिस वह सेना के दस्ते शामिल थे। इस ऑपरेशन को 3 महीने तक चलाया गया। लेकिन बाद में इस बात से खारिज किया कि यहां कोई प्रकार का खजाना नहीं मिला है। 
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 लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि जब खजाना अभियान समाप्त हुआ तो 1 दिन के लिए जयपुर दिल्ली हाईवे को बंद कर दिया गया था तथा इस हाईवे पर लोगों को आने नहीं दिया गया था। और ट्रकों के माध्यम से दिल्ली खजाना ले गए ले जाया गया था। लोगों का कहना है कि सरकार दुनिया के सामने इस खजाने को छुपाकर रखना चाहती थी इसलिए आज तक जयपुर जयगढ़ किले के खजाने की जानकारी सार्वजनिक नहीं है।
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