जयपुर: आज हम आपको राजस्थान के बाड़मेर जिले से 30 किलोमीटर दूर बसे किराडू गांव में स्थिर श्रापित मंदिर के बारे में बताएंगे। इस गांव में एक किराडू नाम का भव्य व सुन्दर मंदिर है। यह किराडू गांव ग्यारहवीं शताब्दी में परमार वंश की राजधानी हुआ करती थी। राजस्थान का यह किराडू मंदिर इतना सुंदर व भव्य बनाया गया है। जिसमें शिल्प कला और वास्तुकला के उत्कृष्ट कारीगरी के नमूने विराजमान है।
जिसे देखकर आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएगी। आखिर हमारे मन में सवाल उठता है कि जहां सैलानियों की भीड़ होनी चाहिए थी। वह मंदिर हजारों वर्षों से वीरान क्यों पड़ा है। इसके रास्ते हम से सवाल क्यों पहुंच रहे हैं। लेकिन आज इस किराडू मंदिर का नाम सुनते ही लोग दहशत में आ जाते हैं।
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क्या वाकई कोई मंदिर श्रापित हो सकता है। अगर नहीं तो फिर मंदिर से जुड़ी सदियों पुरानी किवदंतियों आजतक क्यों कायम हैं। इस गांव के लोग तमाम किस्से और कहानियां बताते हैं। दरअसल गांव की एक कुम्हारिन है। जो एक साधु के श्राप को आज भी भुगत रही है। यानी साधु के श्राप के बाद वो महिला पत्थर बन गई थी। वह पत्थर आज भी गांव में मौजूद है।
गांव के लोग आगे कहते हैं कि कि कुछ वर्षों पहले किसी साधु ने राजा से भिक्षा मांगी थी। लेकिन राजा ने भिक्षा देने से मना कर दिया। तब साधु क्रोध में आकर गांव वालों को श्राप दिया था। जाओ जो पिछे मुड़कर देखेगा वह पत्थर में तब्दील हो जाएगा। यही कहानी आज इस कुम्हारिन की दर्शाती है। बताया जाता है कि इसके बाद किराडू मंदिर एक वीरान जंगल में तब्दील हो गया।
गांव के लोग आगे कहते हैं कि कि कुछ वर्षों पहले किसी साधु ने राजा से भिक्षा मांगी थी। लेकिन राजा ने भिक्षा देने से मना कर दिया। तब साधु क्रोध में आकर गांव वालों को श्राप दिया था। जाओ जो पिछे मुड़कर देखेगा वह पत्थर में तब्दील हो जाएगा। यही कहानी आज इस कुम्हारिन की दर्शाती है। बताया जाता है कि इसके बाद किराडू मंदिर एक वीरान जंगल में तब्दील हो गया।
यहां एक फलता-फूलता गांव किसी साधु के श्राप से हमेशा के लिए रातों रात उजड गया जो कभी दुबारा बस नहीं सका। इस घटना के बाद जो भी किराडू मंदिर में गया। वह वापस लौट कर नहीं आया। गांव वालों के अनुसार इस मंदिर में जो भी जाता है वह अपनी मौत को गले लगा लेता है। अर्थात साधु के श्राप के अनुसार व्यक्ति पत्थर में तब्दील हो जाता है। यही कारण है कि राजस्थान का एक सुंदर भव्य मंदिर इतने वर्षों से वीरान पड़ा है। सूर्य अस्त होने के बाद यहां पंछी जानवर भी नहीं रुकते हैं।